सारांश:
भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने अमेरिकी संयुक्त राज्यों के विचारों पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) के कार्यान्वयन पर मजबूत प्रतिक्रिया दी, इसे “अनुचित, अज्ञात और अनावश्यक” वर्णन किया। MEA ने यह भी बताया कि यह भारत का “आंतरिक मामला” है।
आलेखिका:
अधिकारिक प्रतिक्रिया: MEA ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “Citizenship Amendment Act के कार्यान्वयन पर संयुक्त राज्य विभाग के बयान के संदर्भ में, और कई औरों ने टिप्पणियाँ की हैं, हम यह मानते हैं कि यह अनुचित, अज्ञात और अनावश्यक है। भारतीय संविधान ने अपने सभी नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता गारंटी की है।”
अमेरिकी चिंताएं:
अमेरिकी राज्य विभाग के उच्चाधिकारी मैथ्यू मिलर ने आज सुबह Citizenship Amendment Act की सूचना के बारे में चिंता जताई और कहा कि वह इसे कैसे लागू किया जाए, इस पर नजर रख रहा है।
भारतीय पक्ष:
MEA ने उजागर किया कि Citizenship Amendment Act नागरिकता देने के बारे में है, न कि छीनने के बारे में। “नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 भारत का आंतरिक मामला है और यह भारत की समावेशी परंपराओं और मानवाधिकारों के लिए एक दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के साथ मेल खाता है।”
मानवता का समर्थन:
“Citizenship Amendment Act राज्यहीनता की समस्या को संबोधित करता है, मानव गरिमा का समर्थन करता है, और मानवाधिकारों का समर्थन करता है,” जैसवाल ने जोर दिया।
नागरिकता की अधिसूचना:
मार्च 11 को गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन नियमों की सूचना दी, जो अब धार्मिक आधार पर परेशानियों का सामना कर रहे अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा। यह नियम पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के नागरिकों को हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध, और पारसी समुदायों के लिए नागरिकता प्रदान करने की संभावना देता है। गृह मंत्रालय नागरिकता अधिनियम के तहत आवेदन, प्रसंस्करण और नागरिकता प्रदान
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